Aaj phir meine apne bachpan ko dekha

 आज फिर मैंने अपने बचपन को देखा
आँगन में नहाते, एक  दूसरे को नहलाते।
मैंने खुद को अपने बच्चो में देखा
 आज फिर मैंने अपने बचपन को देखा !!

तितलियाँ तो वही थी, रंग भी वही थे
मैंने अपने बच्चो को उनके पीछे जाते देखा।
आज  फिर मैंने अपने बचपन को देखा !!

कचरे को आग लगाते, टिकलियो  को चटखाते
मस्ती से आळंदीत मैंने बच्चो को देखा ।
आज  फिर मैंने अपने बचपन को देखा !!

प्रियसी प्रिया को आज भी झगड़ता पाया
दोनों माँ को झगड़ा सुलझाता पाया
आज  फिर मैंने अपने बचपन को देखा !!

वक़्त के साथ बदली हुवी चीजों को देखा
रेल , घर  और सड़क सभी को बढ़ते देखा
आज  फिर मैंने अपने बचपन को देखा !!

दोस्तों और भाई का इंतजार करते खुद को पाया
मुझे अपना बचपन बहूत याद आया ।
आज  फिर मैंने अपने बचपन को देखा !!

वक़्त के साथ न बदलने वाला दिल पाया
मैंने उन रास्तो गलियो में अपना बचपन पाया ।
आज  फिर मैंने अपने बचपन को देखा !!